साबरी अहाता में तकरीरों और इश्क-ए-रसूल की गूंज, उमरा टिकट का ऐलान बना महफ़िल का रौशन लम्हा
पूरनपुर। मोहल्ला खानकाह स्थित साबरी अहाता इतवार की रात उस रौनक का गवाह बना, जिसने पूरे पूरनपुर को अपने नूर में डुबो दिया। सालाना ऑल इंडिया निज़ामे-मुस्तफ़ा कॉन्फ़्रेंस व जश्ने तारिक़ बिन ज़ियाद का आयोजन इतनी शानदार शान-ओ-शौकत के साथ हुआ कि पंडाल, स्टेज और कुर्सियाँ भर जाने के बावजूद लोग घंटों खड़े होकर उलमा-ए-किराम को सुनते रहे। महफ़िल की शुरुआत तिलावत-ए-कुरआन से हुई और देखते ही देखते पूरा अहाता नातों, सलामों और तकरीरों की रूहानी खुशबू से भर उठा। इस रौशन महफ़िल में मुल्क भर से आए बड़े उलमा-ए-किराम ने शिरकत की। कारी असद इक़बाल कलकत्तवी, मुफ़्ती नोमान अख़्तर फ़ाइक़ुल जमाली, क़ारी मोहम्मद अली फैज़ी और सैय्यद हसनैन मियाँ बक़ाई सहित कई नामवर आलिम जब मंच पर पहुंचे तो भीड़ में एक हलचल सी दौड़ गई। तकरीरों में अमन, इंसानियत, मोहब्बत, दीनी तालीम और समाजी बुराइयों से दूर रहने के पैग़ाम ने महफ़िल को और भी असरदार बना दिया। दूर-दराज़ से आए काफ़िलों ने इस कॉन्फ़्रेंस को वक़ार और गरिमा दोनों प्रदान की लखीमपुर, रामपुर, अमरोहा, मुरादाबाद, सीतापुर, बरेली से आए मेहमानों ने बताया कि ऐसी नूरानी महफ़िलें ही समाज में एकता और सौहार्द को मज़बूत करती हैं। कार्यक्रम का सबसे खुशनुमा पल तब आया जब अली वर्ल्ड टूरिज़्म और कॉन्फ़्रेंस की ऑर्गेनाइज़र टीम की तरफ़ से मौलाना इरशाद ख़ान बरकाती को उमरा टिकट पेश किया गया। पूरे अहाते में ज़ियारत-ए-हरमैन शरीफ़ैन मुबारक हो की आवाज़ें गूंज उठीं। पर्ची-ड्रा भी ईमानदारी से हुआ दरगाहे सफीपुर शरीफ़ के साहिबे-सज्जादा हज़रत सैय्यद हसनैन बक़ाई द्वारा निकाली गई पर्ची नेमतुल्लाह ख़ान के नाम आई, जिस पर उपस्थित लोगों ने दिल खोलकर दुआएँ दीं। महफ़िल में इस साल कई सम्मान भी पेश किए गए। सभासद आसिम ख़ान बबलू को फिक्र-ए-मिल्लत अवॉर्ड, हाफ़िज़ असलम नूरी को हाफ़िज़ शाह जमालुल्लाह अवॉर्ड, लियाक़त हुसैन (भूरे भाई) को ख़्वाजा फ़ख़रुद्दीन अवॉर्ड और मुफ़्ती नूर मुहम्मद हसनी को मुहद्दिस-ए-सूरती अवॉर्ड देकर उनकी सेवाओं का एहतराम किया गया। हर अवॉर्ड के बाद तालियों और नारे-ए-तकबीर की आवाज़ें देर तक गूंजती रहीं। प्रोग्राम में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन भी सराहना का हक़दार रहा। कोतवाल पूरनपुर के नेतृत्व में पुलिस टीम ने भीड़ के दबाव के बावजूद अनुशासन और सुरक्षा का बेहतरीन इंतज़ाम किया। आयोजकों ने प्रशासन को तहेदिल से शुक्रिया अदा किया।आयोजन की पूरी सफलता में वालंटियर टीम की मेहनत भी साफ दिखाई दी। हाफ़िज़ अरबाज़ रज़वी, हाफ़िज़ तौसीफ़ बरकाती, मौलाना तौसीफ़ बुखारी, नदीम सभासद द्वारा पेश की गई शॉलें और व्यवस्था संभालने वाले युवा हर किसी ने रात भर खिदमत में कोई कमी नहीं छोड़ी। कई क्षेत्रों से आए मेहमान और उलमा यह कहते नज़र आए कि इतनी मोहब्बत और इंतज़ाम एक ही जगह कम देखने को मिलता है। देर रात समापन से पहले देश और दुनिया की अमन-ओ-सलामती, गरीबों के हालात बेहतर होने और उम्मत की तरक्की की दुआ मांगी गई। लोग जब वापस लौटे तो चेहरों पर थकान नहीं, बल्कि इश्क-ए-रसूल की चमक थी, जैसे महफ़िल उनके दिलों पर नक्काशी छोड़ गई हो।