संवाददाता पीलीभीत (सबलू खा)
जनपद पीलीभीत के तराई क्षेत्र की ग्राम पंचायत नगरिया खुर्द कलां के ग्राम प्रधान विवेकानंद ने एक बार फिर अपनी दूरदर्शिता का परिचय देते हुए लखनऊ में सीधे उप-मुख्यमंत्री से मुलाकात की। यह मुलाकात न केवल विकास कार्यों की गति को तेज करने वाली है, बल्कि एक बड़े और बहुचर्चित भूमि विवाद को सुलझाने की दिशा में भी निर्णायक कदम मानी जा रही है।प्रधान विवेकानंद ने अपने क्षेत्र की सबसे बड़ी जरूरत, यानी स्वास्थ्य सुविधा, को उप-मुख्यमंत्री के सामने रखा। उन्होंने तराई क्षेत्र के ग्रामीणों के लिए एक अस्पताल के निर्माण की मांग की। क्षेत्र में बेहतर चिकित्सा सुविधाओं का अभाव हमेशा से एक बड़ी समस्या रहा है। प्रधान ने तर्क दिया कि अगर समय पर अस्पताल बन जाता है, तो दूर-दराज के मरीजों को तत्काल इलाज मिल सकेगा और असमय होने वाली मौतों को रोका जा सकेगा। इस मुलाकात का सबसे अहम मुद्दा 1171 एकड़ सिंचाई विभाग की जमीन का था। यह जमीन हाल ही में सिंचाई विभाग से राजस्व विभाग को हस्तांतरित हुई है। इस जमीन पर वर्षों से कई परिवार काबिज हैं। प्रधान विवेकानंद ने उप-मुख्यमंत्री से इस विषय पर विस्तार से चर्चा की और ज़ोर देकर कहा कि जो जहां बैठा है, उन्हें उसी स्थान पर मालिकाना हक दिया जाए।
यह मांग लाखों ग्रामीणों के भविष्य से जुड़ी है, जो लंबे समय से इस जमीन पर अपना घर बनाकर खेती कर रहे हैं। प्रधान ने उनकी भावनात्मक और कानूनी स्थिति को बखूबी पेश किया। प्रधान विवेकानंद के तर्कों और जनहित से जुड़ी मांगों को सुनकर उप-मुख्यमंत्री ने तत्काल संज्ञान लिया। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने तुरंत ही संबंधित विभागों के उच्चाधिकारियों को आदेशित किया। प्रधान विवेकानंद को उप-मुख्यमंत्री की तरफ से काम होने का पक्का आश्वासन मिला है। प्रधान विवेकानंद ने बताया कि उप-मुख्यमंत्री ने इस बात को गंभीरता से लिया है कि लोगों को उनके काबिज स्थान पर मालिकाना हक मिलने से दशकों पुराना तनाव खत्म होगा और उनके जीवन में स्थिरता आएगी।
प्रधान विवेकानंद की इस लखनऊ-यात्रा को गांव में विकास की नई राह माना जा रहा है। एक तरफ स्वास्थ्य की आधारशिला रखी गई है, तो दूसरी तरफ हजारों लोगों के मालिकाना हक का रास्ता साफ़ होने की उम्मीद जगी है।